
निस्वार्थ भाव से 15 वर्षो से कावरियों की सेवा में जुटे हैं महारानी कांवरियां सेवा संघ,कावर यात्रा में मिले कष्ट से लोगों का सेवा का संकल्प
गया:- श्रावण मास में कांवर यात्रा करने वाले लाखों श्रद्धालुओं के बीच सेवा भाव की अनूठी मिसाल पेश कर रहा है गया शहर का महारानी कांवरिया सेवा संघ। वर्ष 2009 में शुरू हुई एक साधारण सी पदयात्रा आज कांवरियों की सेवा का बड़ा केंद्र बन चुकी है।
वर्ष 2009 में गया के जाने-माने समाजसेवी एवं महारानी बस सेवा के मालिक शशी शंकर सिंह उर्फ पप्पू बाबू ने अपने साथियों सुबोध शर्मा, संजय सिन्हा, संजय शर्मा, श्रीकांत शर्मा, अनील सिंह (डायरेक्टर) चंदन कुमार, मुन्ना सिंह और दिलीप सिंह के साथ सुल्तानगंज से देवघर बाबा धाम तक पैदल कांवर यात्रा का संकल्प लिया था।
लेकिन लगभग 70 किलोमीटर की कठिन यात्रा के बाद जब ये सभी इनारावरन के नथमल अग्रवाल धर्मशाला पहुँचे, तो शारीरिक थकावट के कारण आगे बढ़ना मुश्किल हो गया।
इसी दौरान धर्मशाला में एक अजनबी ने सभी कांवरियों की सेवा की और यह प्रेरणादायक बात कही—
“यदि आप पैदल नहीं चल सकते, तो कांवरियों की सेवा कीजिए, भोलेनाथ उससे भी प्रसन्न होते हैं।”
यह वाक्य पप्पू बाबू और उनके साथियों के मन में ऐसा उतर गया कि देवघर पहुँचकर जलाभिषेक करने के बाद उन्होंने संकल्प लिया कि वे हर वर्ष कांवरियों की सेवा करेंगे।
2010 से शुरू हुआ ‘महारानी कांवरिया सेवा संघ’ का शिविर, इरानावरण के समीप कांवर पथ पर लगाया गया। तब से लेकर आज तक हर वर्ष सावन में यह शिविर लगातार कांवरियों को निशुल्क भोजन, चाय, विश्राम और प्राथमिक उपचार की सुविधा प्रदान कर रहा है। श्रद्धा और सेवा के इस शिविर ने अब कांवरिया पथ पर अपनी अलग पहचान बना ली है।
इस वर्ष 2025 में गया से पैदल यात्रा कर रही पत्रकारों की टीम जब शिविर पहुँची, तो वहां की सेवा व्यवस्था और श्रद्धा देखकर भावविभोर हो गई। शिविर में सैकड़ों कांवरियों को नियमित भोजन, विश्राम व सहयोग मिलता है।
सेवा शिविर के आयोजक शशी शंकर सिंह का कहना है, “बाबा भोलेनाथ की कृपा से हम इस सेवा कार्य को वर्ष 2010 से लगातार चला रहे हैं। यह संकल्प हमारे लिए तपस्या से कम नहीं।”
सावन की यह कथा बताती है कि एक कठिनाई अगर सही मार्गदर्शन से जुड़ जाए तो वह जनसेवा का स्थायी संकल्प बन सकती है।